आज की चन्द पंक्तियां / शेर

आज की चन्द पंक्तियां / शेर

एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़,
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है।

- अहमद फ़राज़

तीर पर कैसे रुकूँ मैं आज लहरों में निमंत्रण!

सुनिए , हरिवंशराय बच्चन जी की कविता - तीर पर कैसे रुकूँ मैं आज लहरों में निमंत्रण!