मेरी आवाज़ में میری آواز میں
हिंदी और उर्दू साहित्य अखिलेश की ज़ुबानी / ہندی اور اردو ادب اکھلیش کی زبانی
आज की चन्द पंक्तियां / शेर
आज की चन्द पंक्तियां / शेर
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़,
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है।
- अहमद फ़राज़
तीर पर कैसे रुकूँ मैं आज लहरों में निमंत्रण!
सुनिए , हरिवंशराय बच्चन जी की कविता - तीर पर कैसे रुकूँ मैं आज लहरों में निमंत्रण!
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